Saturday 16 February 2008

जनसंचार का एक सशक्त माध्यम है विज्ञापन

लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका काफी अहम मानी जाती है। प्रेस को लोकतंत्र के तीन स्तंभों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अलावा एक चौथे स्तंभ के रूप में माना जाता है। भारत जैसे विकासशील देश में प्रेस की भूमिका तब और बढ़ जाती है, जब यहाँ की एक बड़ी आबादी आज भी राष्ट्रीय मीडिया से अपनी पहचान नही बना पायी है। दूसरे शब्दों में मीडिया यहाँ अभी तक पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाई है।

मीडिया का मुख्य कार्य है समाज से जुडे विभिन्न मुद्दों को लोगों के सामने रखना। साथ ही मीडिया स्वयं में इतना बड़ा विषय है कि इस पर काफी कुछ लिखा जाता रहा है। विशेषज्ञता के इस युग मीडिया और जनसंचार एक अलग एवं स्वतंत्र विधा है। पत्रकारिता और जनसंचार से जुडी कुछ आधारभूत बातों को समेटते हुए तरुण प्रकाशन द्वारा प्रकाशित नयी पुस्तक "जनसंचार एवं पत्रकारिता" इस कड़ी में एक नया अध्याय है।

प्रस्तुत पुस्तक में जनसंचार के चार प्रमुख माध्यमो- प्रिंट, रेडियो, टीवी और इंटरनेट की विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी है. इन प्रत्येक माध्यमों पर विस्तार से चर्चा के लिए एक-एक अध्याय एक-एक माध्यमों पर केंद्रित हैं. इस अध्यायपूर्वक चर्चा में विज्ञापन को भी एक ताक़तवर जनसंचार का माध्यम मानते हुए लेखक ने अलग से एक अध्याय में इसकी व्याख्या की है. वैसे सबसे विस्तार से टीवी पर लिखा गया है।

विज्ञापन का व्यापक प्रभाव समझाते हुए लेखक प्रभात रंजन कहते हैं की "अगर विज्ञापन की विधा का सकारात्मक उपयोग किया जाय तो निश्चित रूप से आशातित परिणाम देखे जा सकते हैं"।

हालांकि प्रभात रंजन पत्रकारिता के क्षेत्र में मात्र दस साल पुराने हैं. परन्तु इतने कम समय में इन्होने कई पुस्तकों का लेखन कार्य किया है। वर्त्तमान पुस्तक "जनसंचार एवं पत्रकारिता" के अलावा उनकी अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं- ब्रेकिंग न्यूज़ (पुण्य प्रशून वाजपेयी के साथ बातचीत पर आधारित), एंकर रिपोर्टर (सहलेखन) और टेलीविजन लेखन (सहलेखन)।

इस पुस्तक में वर्त्तमान में चल रहे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों- जैसे की इंटरनेट का बढ़ता प्रभाव और इसका भविष्य तथा स्टिंग ऑपरेशन की समाज में भूमिका को भी पाठकों को समझाने की कोशिश की गयी है. स्टिंग ऑपरेशन और मीडिया की नैतिकता को भी छुआ गया है। साथ ही आचार संहिता को लेकर भारत सरकार की प्रस्तावित प्रसारण विनियमन विधेयक पर भी संक्षिप्त में चर्चा की गई है।

जनसंचार और पत्रकारिता से जुड़े समस्त पहलुओं की जानकारी उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से लिखी इस पुस्तक में पारंपरिक पहलुओं के साथ-साथ नए माध्यमों की बखूबी चर्चा की गयी है। इस विषय के विभिन्न पाठ्यक्रमों से जुडी बारीक़ से बारीक़ बात को समझने के लिए यह किताब काफी उपयोगी सिद्ध होगा।

नौ अध्यायों में बटी 144 पृष्ठों वाली यह किताब विशेषकर जनसंचार एवं पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है. लेकिन मीडिया के क्षेत्र में रूचि रखने वाले किसी भी पाठक के लिए यह उपयोगी सिद्ध होगी। किताब बहुत ही सरल भाषा में है. साथ ही स्पष्ट और छोटे वाक्यों में लिखा होने के कारण पाठक में रूचि बनाये रखता है।
पुस्तक समीक्षा


पुस्तक - जनसंचार एवं पत्रकारिता
लेखक - प्रभात रंजन
प्रकाशन - तरुण प्रकाशन, गाजियाबाद
मूल्य -300 रूपये
कुल पृष्ठ संख्या - 144

Published in

Navbharat, Bhopal

(Ravivari)

February 17, 2008

& Also on:

Merikhabar.com

February 15, 2008

1 comment:

Balendu Sharma Dadhich said...

आपकी पोस्ट को पढ़ने के बाद कोई भी इस पुस्तक को जरूर खरीदना चाहेगा। अच्छा लिखा है। आगे भी उत्साह बनाए रखिए।